एक निडर, कुंवारी किशोरी, एक वर्जित मुठभेड़ में फंस जाती है। वासना से अभिभूत होकर, वह अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाती है। चरवाहे के कुशल स्पर्श से उसकी जंगली सवारी शुरू हो जाती है, जिससे वह और अधिक तरसने लगती है। यह अनैतिक मुलाकात आनंद और मासूमियत को फिर से परिभाषित करती है।